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यह आर्टिकल पूर्ण रूप से लोगों द्वारा पूछे प्रश्नों पर आधारित है।  इस आर्टिकल के माध्यम से निम्न प्रश्नों  के  उत्तर दिए गए हैं:

  • क्या ये सत्य है कि तंत्र में स्त्रियाँ पुरूष से जल्दी सिद्धी प्राप्ति करतीं हैं व किसी पुरुष-तांत्रिक से ज़्यादा शक्तिशाली हो सकती है? (विवेक बंसल, दिल्ली)
  • क्या तंत्र इतना प्रभावशाली है कि किसी को आत्महत्या के लिए उकसाया जा सकता है या किसी का खून भी कराया जा सकता है? (हरभजन चौधरी ,गुड़गाँव)
  • क्या तंत्र के माध्यम से किसी का वशीकरण करना आसान है और क्या उससे अपने मन-मुताबिक़ कोई कार्य भी कराया जा सकता है? (बरखा सिंह, भोपाल)
  • क्या तंत्र में भैरवी अर्थात स्त्री सिद्धी प्राप्ति कर साधक बन कर कुछ भी कर सकती है? (मिथलेश त्रिपाठी, श्रावस्ती)       

जब एक स्त्री तंत्र साधना से स्वयं को जगा लेती तब उसकी दैवीयता अपेक्षाकृत जल्दी ही देखि जा सकती है। स्त्रियाँ पुरूष से ज़्यादा हठी व शारीरिक रूप से लचीली होती हैं। उनका यह गुण कई कठोर आसन आदि में सहयोगी होता है। जन्म से ही स्त्रियों की छँटी ईन्द्री जाग्रत होती है जो कि कुंडलिनी जागरण में अत्यधिक सहायक हैं।

मसान, मोक्कील, बुलाखी-मसान, कलवा, भैरव, भूत, प्रेत व जिन्नात आदि को समर्पित स्त्रियाँ इन शक्तियों को जगाकर स्वयं को शारीरिक सम्बन्ध हेतु समर्पित कर सकती है। तब ये शक्तियाँ हुक्म की तामील करती हैं।  साधिका की गुलाम ये शक्तियाँ कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाती हैं और साधिका अपना छल-कपट का गंदा खेल सकती है।

तंत्र साधनाएं अत्यधिक प्रभावशाली और विशेष हैं। यह सत्य है कि जो राज करना चाहते हैं, धन और शक्ति प्राप्ति करना चाहते हैं, दूसरे से अपने काम निकलवाने और सफलता प्राप्ति करना चाहते हैं, वे तंत्र के माध्यम स्वयं में एक विशेष आकर्षण उत्पन्न कर लेते हैं। ऐसे होने पर कोई भी उनकी ओर आकर्षित हुए बिना रह पाता और अगर साधक कोई स्त्री है तब उसके लिए सब कुछ और भी सहज हो जाता है।

स्त्रियाँ तंत्र में वशीकरण शीघ्र जागृत कर पुरुषों को प्रभावित कर सकती हैं। आपने सुने भी होगा नवाबों के तमाम मशहूर क़िस्से हैं कि वह किसी नाचने वाली के पास गए और उसने सुपारी-ईलायची पर प्रयोग करके नवाब साहब को खिला दी तो वह ज़िंदगी भर, जब तक ज़िंदा रहा, कोठे पर ही पड़े रहा। ऐसा वशीकरण गुप्त रूप से आज भी तंत्र को जानने वाली स्त्रियाँ करतीं हैं। कुछेक ग़लत स्त्रियाँ भी इसी प्रयोग को अपने प्रेमी, कुलीग, बॉस, या दोस्त पर करती हैं। ये प्रयोग भी सात्विक, तामसिक व अघोर होते हैं।

और ये प्रयोग भी अच्छे व बुरे तरीक़े से, कभी पशु बलि या कभी तांत्रिका स्वयं सम्बन्ध बना कर भी करती है।  कुछेक कपड़ा चुरा कर उसका पुतला बना कर व कुछेक उस कपड़े को मासिक धर्म मे उपयोग करके तांत्रिक प्रयोग करती हैं। यह तंत्र-सम्मोहन एक प्रक्रिया है जिससे पुरी तरह तांत्रिका का गुलाम हो जाता है।

यह सत्य है कि जब तंत्र नामक शस्त्र किसी स्त्री के हाथ लग जाता है और उसे अपने अस्तित्व अर्थात स्त्री-सत्ता का बोध भी हो जाता हैं तो वह तंत्र शक्ति का प्रयोग के प्रभाव समझ जाती। ऐसी स्त्री या तो साक्षात देवी रूप अर्थात इस जगत मे माँ भैरवी हो जाती हैं या फिर डायन बन कर बदला लेती है या फिर किसी भी मक़सद के लिए वह तंत्र व तंत्र प्रयोग का सहारे किसी को भी वशीभूत कर उसे गुलाम बना सकती है। और वह सुन्दर है तब तो किसी को भी फँसा कर कुछ भी कर गुजरती हैं।

तंत्र-मत्रं साघनाऔ में यदि स्त्री का प्रवेश उद्धार के उद्देश्य से है तब वह पूजने योग्य हैं। उसके शांत स्वभाव से व उसके तप करने से सम्पूर्ण शरीर से जो उर्जा निकलेगी वह माँ भगवती देवी भैरवी के रूप को साक्षात् पूजने के तुल्य है। उसके व्यवहार से, उसके तेज से ही व उसके दर्शन मात्र से कल्याण हो जाता है। वहीं यदि कोई चालाक, षड्यंत्रकारी लड़की तंत्र को जागृत करले तब वह दूसरों का अहित ही करती है।

आज अनेकों लड़कियां तंत्र-मंत्र, वशिकरण सिखती है। अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वे तंत्र मंत्र को अपने जीवन का हिस्सा मानतीं हैं और उनके लिए अपने पति, बॉस, या किसी करोड़पति को वश में करना और अपना उद्देश्य पूर्ति करना उनके लिए मामूली सी बात है।

अनेकों लोक-कथाओं व सनातन वैदिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन युग में राजा, ऋषियों, और महिऋषयो द्वारा अपने शत्रुऔ का छलपूर्वक अन्त करने के लिए विषकन्या का भी प्रयोग किया जाता था। इसकी प्रक्रिया में किसी रूपवती बालिका को बचपन से ही विष की अल्प मात्रा को देकर पाला जाता था और विषैले वृक्ष तथा विषैले प्राणियों के सम्पर्क से उसको अभ्यस्त किया जाता था। इसके अतिरिक्त उन्हें संगीत और नृत्य की भी शिक्षा दी जाती थी, तथा तंत्र, मत्र, काला जादू, आसुरी तंत्र, योग एवं सभी प्रकार की छल विधियाँ सिखाई जाती थीं। अवसर आने पर इन विषकन्यों को युक्ति और छल के साथ शत्रु के पास भेज दिया जाता था। इसका श्वास तो विषमय होता ही था, परन्तु यह मुख में भी विष रखती थी। ऐसे स्त्रियों से संभोग करनेवाला पुरुष रोगी होकर मर जाता था।

बारहवीं शताब्दी में रचित ‘कथासरितसागर’ में विष-कन्या के अस्तिव का प्रमाण मिलता है। सातवीं सदी के नाटक ‘मुद्राराक्षस’ में भी विषकन्या का वर्णन है, ‘शुभवाहुउत्तरी कथा’ नामक संस्कृत ग्रंथ की राजकन्या कामसुंदरी भी एक विषकन्या थी।

जेसै कि कुछेक धर्म के जानने वालों ने स्त्री को नरक माना है तब कुछेक ने स्वर्ग व मुक्ती का भी साधन भी स्त्री को ही माना है। वही वामा साधनाओं में स्त्री को शक्ति के बराबर ही माना है। जहां जन्म देकर वह माँ है तो पत्नी बन कर अपने सत्त्व के कारण सती है जो काल के मुंह से भी अपने पति को निकाल लाती है तो कुछेक भैरवी बन कर तंत्र साधक की शक्ति है।

16वीं सदी में गुजरात का सुल्तान महमूद शाह था। उस समय के एक यात्री भारथेमा ने लिखा है कि, महमूद के पिता ने कम उम्र से ही उसे विष खिलाना शुरू कर दिया था ताकि शत्रु उस पर विष का प्रयोग कर उस पर नुकसान न पहुंचा सके। वह कई तरह के विषों का सेवन करता था। वह पान चबा कर उसकी पीक किसी व्यक्ति के शरीर पर फेंक देता था तो उस व्यक्ति की मृत्यु सुनिश्चित ही हो जाती थी।

उसी समय का एक अन्य यात्री वारवोसा लिखता है कि सुल्तान महमूद के साथ रहने वाली युवती की मृत्यु निश्चित थी। इतिहास में दूसरे विष पुरुष के रूप में नादिरशाह का नाम आता है। कहते हैं उसके श्वास में ही विष था। परन्तु विषकन्याओं की तरह विषपुरुष इतने प्रसिद्ध नहीं हुए।

तंत्र को जगा शक्तिशाली स्त्री महाशक्तिशाली बन जाती है। स्वयं महादेव ने पार्वती को आदय शक्ति होने एहसास कराया। जब पार्वती ने काली रूप धारण किया तब उनका संयम खो गया और वह क्रोधित हो गईं। महादेव काली के क्रोध की शांति हेतु स्वयं मार्ग में लेट गये तब काली के रूप में पार्वती ने अपने पैर महादेव के सीने पर रखा और चौंक गई की यह उनसे क्या हुआ। तब वह काली से पुनः पार्वती रूप में आयी।

एक बार आपना राज्य स्थापित करने के पश्चात महिषासुर ने महिर्षी कात्यायन का अपमान कर दिया। तब कात्यायन ऋषि ने महिषासुर के संहार हेतु भगवती का जन्म उनके होने के लिया कठोर तप किया। जब भगवती का उनके यहाँ जन्म हुआ और तं स्यम् ब्रह्मा, विष्णु, और महेश व अन्य देवताओं ने मिल कर देवी कात्यायनी को प्रशिक्षण दिया। कुछेक समय उपरांत अकेली कात्यायनी ने ही महिषासुर का सम्पूर्ण सेना सहित संहार कर दिया । इस कथा के अनुसार देवी कात्यायनी के द्वारा अकेले ही महिषासुर के संहार से स्पष्ट है की किस प्रकार एक स्त्री को सम्पूर्ण सम्राज्य के संहार हेतु एक शस्त्र बना कर प्रयोग किया जाता था।

यह सत्य है कि एक शासन जिसमे स्त्री को मात्र भोग-विलास की वस्तु समझा जाता है वहाँ  किसी भी प्रकार से षड्यंत्र रचना असम्भव था। राजा शक्तिशाली, बलशाली, और विशाल सेना का स्वामी हो तो उसे पराजित करना आसान नहीं था तब स्त्री को ही माध्यम बनाकर उसे संपूर्ण तैयारी के साथ भेज कर इस प्रकार के असुरों, राक्षसों, व दुष्ट राजाओं का संघार कराया जाता था। अत: स्त्रियों का प्रयोग-दुरुपयोग सदा से ही होता रहा है। ऐसे हज्जारों क़िस्से है।

स्त्रियाँ शारीरिक तौर पर कमजोर सही लेकिन मानसिक तौर पर हिम्मती, हठी, क्रोधी, होती हैं तथा वे जानतीं है कि एक पुरूष की औक़ात उसके सामने क्या है। जब स्त्रियाँ स्वयं के अस्तित्व को समझ लेती हैं तब वह अपनी आध्यात्मिक जाग्रति कर असम्भव से असम्भव कार्य को तंत्र द्वारा पूर्ण कर लेती हैं। इसी लिए शुरू से ही स्त्रियों को तंत्र-मंत्र, साधनाओं आदि से दूर रखा जाता है।

हालांकि तांत्रिका द्वारा किये गए ऐसे प्रयोगों की काट भी हो जाती है। कई वशीकरण जो असम्भव थे, जो गंदे से गंदे तरीक़े से किए गए थे, जिसमें तांत्रिका ने अपना मल-मूत्र तक मंत्रों से अभिमंत्रित कर पीड़ित को खिलाया था, माँ भगवती बगलामुखी की कृपा से पुरुषों को ऐसे केई प्रयोगों से मुक्त कराया जा चुका है।

विश्व के कई कोनों में औरतों के डायन होने के बड़े-बड़े क़िस्से हैं। जब यह मालूम होता था कि वह स्त्री तंत्र जानती थी या कोई चमत्कार कर लेती हैं तब उसे गंदी से गंदी सजा देकर मार दिया जाता था। कई मासूम स्त्रियाँ पर भी शक के आधार पर मार दिया जाता था और यह सब एक लंबे समय से अब तक चलता रहा है।

 

ये सत्य है कि वशीकरण के माध्यम से किसी का भी जीवन नष्ट किया जा सकता है। तांत्रिकों को भी चाहिए कि जो स्त्री किसी का वशीकरण कराने आयी है वह सच में अपना घर बसाने ही आयी है ना कि किसी का घर उजाड़ने। क्योंकी अच्छा बुरा जो कर्ता हैं सृष्टि में भोगता भी वही है।

नोट: यदि आप को ऐसा अनुभाव हो रहा है कि आप आवश्यकता से जायदा किसी के प्रति अकृषित हैं और उस व्यक्ति के सामने आने पर आप न चाह कर भी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगते हैं। उसकी हर गलत बात को और उसके आदेश का पालन करते हैं। न चाह करके भी आपके अंदर उसके लिए एक अजीब सा पागलपन है तब आप समझिए कि आप वशीकरण के शिकार हैं। इस प्रकार के तंत्र मंत्र व वशीकरण-प्रयोग से बचने हेतु व इस प्रकार के प्रयोग कि समाप्ति हेतु आप बगलामुखी साधना पीठ से संपर्क कर सकते हैं।

हमारे यहाँ बगलामुखी का प्रयोग के माध्यम से वशीकरण के सभी प्रयोग नष्ट करने हेतु सभी प्रकार के पूजा एवं अनुष्ठान करवाए जाते हैं। इसके अलावा आपके ऊपर कोई वशीकरण ना कर पाए इस हेतु हमारे यहाँ विशेष एवं उच्चकोटी का कवच तैयार किये जाते हैं।