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शत्रु ,रोग, क़र्ज़ से मुक्ती हेतु भगवती बगलामुखी पीठ पर भगवती का दर्शन करें व कालरात्रि और बगलामुखी यज्ञ में आहुतीया प्रदान करें।

रात्रि 9:15 से रात्रि 1,बजे तक

भारत में व अनेकों शास्त्रों में दीपावली की रात्रि को कालरात्रि के दिवस के नाम से मनाया जाता है।  कोलकाता में व तांत्रिकों के अनुसार इस रात को महानिशा भी कहा जाता है। इसी हेतु कोलकाता में शमशान में काली पूजन करते है; कुछेक तांत्रिक दीपावली की रात्रि से पूर्व रात्रि  जिसें छोटी दिवाली कहा जाता है, को शमशान पूजन व  प्रयोग साधना हेतु विशेष मानते हैं।  वहीं पौराणिक कथाओ केअनुसार भगवती कालरात्रि बहुत ही अशुभ मानीं गयी है, तथा नीशाचर अत:असुर व आसुरी प्रवृत्ति वाले लोग ईस दिन पशुबलि भगवती को प्रदान करते हैं।

शमशानों में सिद्धियों को प्राप्त करने वाले तांत्रिक, अघोरी आदि व कौलाचारियो के लिए दीपावली विशेष पर्व है।  कुछेक आचार्यों केअनुसार यह सवाल उठता है कि ऐसे दिन रात्रि में लक्ष्मी पूजन क्यों तथा शुभ कार्यों के लिए भगवती लक्ष्मी का दिवस कै से किया मनाया है।

कालरात्रि है क्या विशेष…….
कालरात्रि को महा निशा के नाम सेभी जाना जाता है. जो की महा और निशा दो शब्दों से मिलकर बनता है।  प्रथम शब्द महा का अर्थ होता है बड़ा और निशा का अर्थ होता है रात्रि अर्थात वह रात्रि जो हमारे लिए बहुत ही विशेष महत्वपूर्ण होती है या महत्वपूर्णकार्यों को सिद्ध करने वाली होती है।  विशेष कर इस हेतु दीपावली की विशेष रात को कालरात्रि कहा जाता है. तथा वही शक्ति संभव दंड के काली खंड
में भगवती के नाम से बहुत प्रकार की रात्रियों का विस्तृत विवरण दिया गया है. इस लिए दीपावली की रात को ही कालरात्रि कहा गया है. तथा तंत्र शास्त्र में काल रात्रि को विशेष एक शक्ति रूप माना स्वीकारा है,सभी तंत्र ग्रंथों में विशेष रात्रि बताया गया है. यही कारण है कि कालरात्रि को शक्ति की पूजा से सुख सौभाग्य, धनधान्य वैभव की प्राप्ति होती है.

महत्व:-

  • विशेष कालरात्रि को एक तरफ जहांशत्रुविनाशक माना जाता हैवहीं शास्त्रों मेंविशेष इसेसुख सौभाग्य देनेवाली रात्रि भी माना जाता है.
  • विशेष कर मंत्र मेंइनको गणेश्वरी के नाम सेभी जाता है. जो रिद्धि सिद्धि प्रदान करनेवाली हैं. यह अमावस्या की रात हैतथा चंद्रमा उदय नहीं होने केकारण तांत्रिकों केअंधकारमय रात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है.
  • अमावस्या को ईस रात्रि को अंधकार का स्वरूप माना जाता है. जो की सूर्य केनिकट चंद्रमा पहुंच जाता है. अर्त:वह चलते-चलतेचंद्रमा उस राशि के निकट वाली राशि मेंप्रवेश करता हैतथा जिस राशि मेंसूर्यमौजूद रहता है. इसी दिवस मेंगणेश लक्ष्मी कु बेर तथा काली की पूजा की लोग पूजन करते है.
  • विशेष कर बहुत लोग इस रात्रि मेंतंत्र मंत्र टोनेटोटकेझाड़ा आदि जैसे तांत्रिक कार्यों को सिद्ध व सम्पन्न करतेहैतथा महानिशा का आगमन अर्धरात्रि केबाद ही होता है.
  • महा निशा मेंशमशान आदि मेंतांत्रिक योगी उपासक साधक अपनी-अपनी विशेष पूजा उपासना साधना और सिद्धि क्रियाएं करतेहैं.

वही अत्यधिक पुराने समय से ही हमारे संत महात्माओं धर्मशास्त्रों व पुराणों के अनुसार शक्ति की पूजा करने के लिए साल केअलग-अलग दिनों की मान्यता है जो स्पष्ट दतिया बगलामुखी पीठ से प्रकाशित तांत्रिक पंचांग में स्पष्ट दिया जाता है. अनेकों शास्त्रों और पुराणों में कार्तिक मास की अमावस्या को कालरात्रि कहा गया है. तथा अमावस्या के 2 दिन पहलेसे और  2 दिन बाद तक अर्थात 5 दिनों तक का समय को विशेष पुण्य काल होता है. इसलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को विशेष कर धनतेरस, चतुर्दशी को नरक चौदस तथा अमावस्या को दीपावली महालक्ष्मी पूजन तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि को अन्नकूट और द्वितीय को भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है. यह समय विशेष कर शरद ऋतुका यह काल बहुत ही खुशनुमा समय रहता है.

विशेष खास बातें:-

  • यही दीपावली की रात को तो कालरात्रि कहतेहैं, तथा पूरी रात कालरात्रि नहीं कहलाती है. विशेष कर पूरी रात को दो भागों मेंबांटा गया है.
  • विशेष रात का पहला पहर अर्थात अर्धरात्रि तक लक्ष्मी गणेश पंच देवों की उपासना धूमधाम सेकी जाती है. इसलिए इसे सिद्धि दात्री कहा जाता है.
  • वही अर्धरात्रि केबाद से लेकर सूर्योदय से दो घड़ी पूर्वतक केसमय को रात 12:00 बजे से लेकर सुबह 5:00 बजे तक का समय महानिशा के नाम सेजाना जाता है।
  • तांत्रिक साधक महानिशा में जो साधना करना चाहता है उन्हें रात के 11:00 तक साधना की पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए. विशेष महानिशा में तंत्र साधना करनेका विशेष महत्व होता है.
  • विशेष मां लक्ष्मी की आराधना करने से सुख संपत्ति और धन वैभव की प्राप्ति होती है. तथा यह समय मांलक्ष्मी की पूजा और धन प्राप्ति की दृष्टि सेबहुत विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है.
  • यह स्पष्ट है कि दिवाली की रात को 12 बजे के बाद जो मुहूर्त का जो समय है उसे महानिशा कहतेहैं. उसमें मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की भी प्राप्ति होती है.
  • दीपावली के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों विशेष तुला राशि में मौजूद होते हैं. तुला का स्वामी शुक्र होता है जो विशेष कर शुक्र को धन प्रदान वैभव का स्वामी माना जाता है।
  • जब सूर्य और चंद्र राशि में एक साथ होते हैं तब लक्ष्मी पूजन करने से मनुष्य को सुख संपत्ति और धन की यश की प्राप्ति होती है।
  • वही विशेष दूसरे समय में जिन्हें यंत्र मंत्र तंत्र और साधनाओं की सिद्धि प्राप्ति के लिए लाखों संख्या में जप हवन तथा पूजन करना पड़ता है. इस अवसरों पर यह सिद्धियाो के लिए कम प्रयास और दसवाँ भाग जाप करने से ही प्राप्त हो जाती हैं.
  • वही विशेष महानिशा को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि कालरात्रि की रात कुछ ऐसे महत्वपूर्ण योग बनते हैं जिससे आद्या शक्ति की कृपा प्राप्त होती है.
  • इस रात की गई सभी प्रकार की साधनाएं सहज ही सिद्ध हो जाती हैं. विशेष कर काल रात्रि मेंअपना नित्य पूजन करने के बाद प्रयोग व शाबर मंत्र, ईस्ट मंत्र आदि जो पहले से ही सिद्ध कर चुके हैं उन्हें फिर से जागृत करने का भी विधान है।
  • जो लोग खुद भोजपत्र आदि पर विशेष यंत्रों का निर्माण करते हैं तथा उसकी विशेष पूजन करते हैं दूसरे दिनों की अपेक्षा अधिक सिद्धि दायक फल दायक होते हैं तथा उसकी वार वार प्राण प्रतिष्ठान नहीं की जाती
  • कालरात्रि एक ऐसी रात्रि है जो साल में सिर्फ एक बार आती है. इसलिए इस रात को सोते हुए, जुआ खेलते हुए, राग रंग या मस्ती में लोग गुज़ारते हैं।