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क्या भगवती बगलामुखी के सहज, सरल शाबर मत्रं साधना भी हैं तो कृपया विघान सहित बताएं।

(प्रमोद पाठक आगरा उ. प्र.)

बगलामुखी तंत्र साधना के जो मत्रं है तथा वेदोक्त पूजन है, उनके प्रभाव को देखते हुए क्या बगलामुखी शाबर मंत्रों का प्रभाव ज़्यादा है? मेरे विचार से शाबर मत्रं भटकाते हैं कृपया जरूर उत्तर दें।

                                                       (मनोज पंकज झारखंड)

शाबर मत्रं अत्यधिक प्रभाव शाली है। क्या सटीक शत्रुओं को शांत किया जा सकता है? ज़रूर बताएं।

                                                      (ललन झां छपरा विहार)

में भी साधना करना चाहती हू। आचार्य जी एक दो वूजुर्ग साधकों से में मिली हूं। उन्होंनों शाबर मत्रं  दिये थे परन्तु वह क्या सच में मत्रं है। समझ ही नहीं पाई ओर किताबें बहुत पढ़ी। आप के आर्टिकल आजकल पड़ रही हूं। कोई सरल सा मत्रं बात दीजिए। आपकी बहुत ही कृपा होगी।

                                                (मेघा जैना भुवनेश्वर उडिसा)

कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा। साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा॥
अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥

                        (।। रामचरितमानस ।।बालकाण्ड – 5/3,)

भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर जगत के हित के लिए शाबर मन्त्र समूह की रचना की, जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है ।

महादेव और पार्वती ने ही मनुष्यों के दुख निवारण हेतु शाबर मंत्रों की रचना की। शाबर ऋषि व नव नाथों ने भी कलियुग में मनुष्यों के दुखों को देखते हुए की व सहज संस्कृत ना पढ़ पाने के कारण भी है, आँख की पीड़ा-अखयाई ,कांख की पीड़ा -कखयाइ, पीलिया, नेहरूआ, ढोहरूआ, आधासीसी ,नज़र भूत प्रेत बाधा से मुक्ती हेतु ही की थी जिससे उपचार में विशेष सहायता प्राप्त हुई और रोगी का ततछण आराम मिल जाता है। आज भी झाड़ा लगवाने कुछेक असाध्य रोगों के विशेष प्रभाव शाली है,

इस प्रकार के तमाम चमत्कारों को देखते हुए तंत्र साधना मे विशेष शत्रू को दण्ड देने के लिए इन मंत्रों की रचनाएं की और इनके प्रभाव भी विशेष प्रभाव शाली है। वहीं अगर अन्य तंत्र मंत्र की वात की जाये तव वह सब मत्रं और तंत्र ऋषि महर्षियों नें ही मंत्रों की रचनायें की है। तब से अब तक यह विशेष प्रभाव शाली है। नाथों में यह मत्रं शाबर मत्रं विशेष प्रभाव शाली है जो की बड़े से बड़े शत्रु संघारक प्रयोग करने में सक्षम है; शाबर मत्रं वाक़ई चमत्कारी है।

माँ पिताम्बरा बगलामुखी के यह मत्रं अपने आप में चमत्कृत है। बगलामुखी तत्रं साधना के लिए विशेष कौलाचार्य क्रम दीक्षा का विधान है। परन्तु यहा शाक्त, शैवों, नाथों द्वारा शक्ति उपासना अत्यधिक सहज तो है परन्तु शमशान आदि में साधना विशेष प्रभाव शाली है जो गुरू द्वारा बताएं मार्ग से ही प्राप्त है।

(1)  यदि किसी व्यक्ति विशेष के कारण शत्रु हरेक जगह कष्ट देते है तथा हावी रहते हैं, व हर प्रकार से नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, व षड्यंत्र करके पुलिस कोर्ट कचहरी में फसा देते है तथा झूठे मुक़दमे सज़ा आदि में या कोई तंत्र मत्रं करके परेशान कर रहा है, तथा दूसरी तरफ़ से भी तत्रं मत्रं हो रहा है तथा बगलामुखी दिक्षा उपरांत साधना से फायदा नही हुआ हैं, तव विशेष फल प्राप्ती विजयी हेतु तथा शीघ्र फल प्राप्ति हेतु शाबर मंत्र साधना करनी चाहिए।

(2) तथा किसी के शत्रु अस्त्र शस्त्र के प्रदर्शन से धमकाने का प्रयास कर रहा है और उसके सामने अपने प्राणों का संकट खड़ा हो जाता हो या भय है,

(3) क्या कोई उसकी जीविका को व्यापार को तत्रं दुबारा नष्ट कर रहा है अत: बंधन प्रयोग कर रहा है तब शत्रुओं को उनके वल प्रभाव नष्ट करना चाहिए।

(4) कोई सरकारी कामकाज रूका पड़ा है उसमें प्रयासों के उपरांत भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है तब अवश्य ही जब कोई असाहय हो या सब तरफ से शत्रुओं में घिर जाए और उसे बचने का कोई उपाय न सूझे, तो ऐसी भयंकर विपत्ति में ही बगलामुखी साधना करनी चाहिए क्योंकि।

(5) अधिकतर नौकरी में कुलीग्स के साथ वहुत ही ज़्यादा कोम्पलेक्स प्रोब्लमों से परेशान होने पर या बॉस से परेशान होने पर तथा बार बार ट्रांसफ़र पर भी यह प्रयोग कर सकते है

(6) राजनीतिक जीत पद प्रतिष्ठा चुनावों में टिकट प्राप्ति हैतू तथा विशेष कार्य हेतु भी अन्य गुप्त शाबर मत्रं जो मंदिर परिसर में प्रयोग हेतु अपनाते जो की अत्यधिक प्रभाव शाली है,

 बगलामुखीर शाबर मंत्र –  1

ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।

Baglamukhi Shabar Mantra in English- 1

oṃ malayācala bagalā bhagavatī mahākrūrī mahākarālī rājamukha bandhanaṃ grāmamukha bandhanaṃ grāmapuruṣa bandhanaṃ kālamukha bandhanaṃ cauramukha bandhanaṃ vyāghramukha bandhanaṃ sarvaduṣṭa graha bandhanaṃ sarvajana bandhanaṃ vaśīkuru huṃ phaṭ svāhā।

बगलामुखी शाबर मंत्र – 2

ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।

BAGLAMUKHI Shabar Mantra-2

Om so so suta samundar tapu,tapu mai thapa,sihasan  peela, sihasan peele upar kon bese? Sihasan peela upar BAGLAMUKHI bese. BAGLAMUKHI ke kon sange, kon sathi? Kachi bachi kak kutiya sawan chidiya. Om bagla bala hath Mudgar maar, shatru hriday par sawar , tiski jihwa khiche. BAGLAMUKHI marne-karni, uchatan dharni, Anant koti sidho ne mani. Om BAGLAMUKHI bhramani bhande, chandrasoor fire khande-khande, bala BAGLAMUKHI namo namaskar.

बगलामुखी शाबर मत्रं-3

ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।

BAGLAMUKHI Shabar Mantra-3

Om BAGLAMUKHI mahakruri shatru ki jihwa ko pakarkar mudgar se prahar kar, ang pratyang stambh kar ghar badham  vyapar badham triaha badham chauraha badham char khoot marghat ke bandh jadu tona totka badham dust dustrane ki bidhya bandh chal kapat prapanchon ko bandh satya naam Adesh guru ka.

शाबर मंत्रों को साधने के विघान कुछ विशेष ही होते है। कुछेक जल में रह कर, कुछ शमशान तिराहे पर, चौराहे पर यहाँ सहज ही सरल विधान दे रहे हैं, किसी भी मंगलवार, इतवार,बृहस्पतिवार या अस्टमी को एक दीपक में सरसों के तेल, मीठे तेल या शुद्ध घी के साथ एक चुटकी हल्दी के साथ यह दीपक जलाकर व साघक साधना के समय पिले वस्त्रों को धारण करें और पीला तिलक लगा कर देवी चित्र या मूर्ति का पूजन हल्दी से करें व पीले पुष्प चढ़ाएं और दीपक की लौ में भगवती का ध्यान कर बगलामुखी के मंत्र का एक हजार बार तीनों शाबर मत्रं से कोई भी एक का  जप करें तथा पिला ही भोग लगावें इस प्रकार ४३ दिवस तक करने से कार्य में अवश्य ही विजयी प्राप्ति होती है यहा केई बार तो चार ,छै: दिनों में ही सफलता हाथ लगती है।

शमशान में प्रयोग।

शामशान में  प्रबल और अती शीघ्र फल प्राप्त होते है प्रयोग प्रथम श्मशान में छोड़े हुए वस्त्र की बत्ती बनाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं दीपक को उड़द की दाल के ढेर के ऊपर रखें तथा वो भी बेसन के लड्डू या रोट का शमशान में जप के पश्चात् भोग चड़ायैं, शत्रु का समूल नाश चाहते हों, तो दीपक को 108 बार विलोम मंत्र पढ़कर बाएं हाथ से इस प्रकार उलटा कर दें कि नीचे रखा ठीकरा टूट जाए।

शमशान भूमि पर दक्षिण दिशा की तरफ़ एक त्रिकोण बना कर त्रिकोण के मध्य में शत्रू का नाम उच्चारण करते हुए लोहे की कील ठोकने पर शत्रू को कष्ट प्राप्त होता है,

शमशान में अगर प्रयोग करना है तब गुरू मत्रं प्रथम व रकछा मत्रं तथा गूड़सठ विद्या होने पर गूड़सठ क्रम से ही प्रयोग करने पर शत्रू व समस्त शत्रुओं को घोर कष्ट का सामना करना पड़ता है यह प्रयोग शत्रुओं को नष्ट करने वाली प्रक्रिया है यह क्रिया गुरू दिक्षा के पश्चात करें व गुरू क्रम से करने पर ही विशेष फलदायी है साघक को बिना छती पहुँचाये सफल होती है।

शमशान में बगलामुखी प्रयोग हेतु मूल, आद्र्रा या भरणी नक्षत्र में शनिवार को ही प्रथम श्मशान से मिट्टी लाकर दीपक बनाना चाहिए,एसा केई बार देखा है कि इस मंत्र के प्रयोग से बलवान से बलवान भी शत्रुओं का समूह नष्ट हो जाता है

शमशान के लिए गुरू आदेश अनुसार प्रयोग करें।

प्रयोग की पहचान

यदि दीपक की लौ सीधी जाए, तो यह कार्य के शीघ्र सिद्ध होने का सूचक है। किंतु यदि लौ टेढ़ी जाती हो या बत्ती से तेल में बुलबुले उठें, तो कार्य की सिद्धि में विलंब होगा।

तांत्रिक विशेष कर शाबर मंत्रों पर ही निर्भर है कुछेक साघको ने जिन शाबर मंत्रों को कठोर साधना कर घोर -अघोर क्रम से साघ लिया हैं उनकी इच्छा शक्ति ही काफ़ी हैं

साबधान गुरू कृपा अत: दिक्षा के विना ये प्रयोग कतापी ना करें शत्रू दुबारा प्रत्यगरा , विपरीत प्रत्यंगरा आदि प्रयोग होने पर साघक को भयंकर छती का सामना करना पड़ सकता।

तंत्र साघक विना गुरू की सहमति के तथा वापसी प्रयोग होने पर बचाव प्रकरण सिद्ध होने पर ही प्रयोग करें।

 

तत्रं साधना गुरू मार्ग दर्शन में ही करें स्वतः गुरू ना बनें अन्यथा भयानक दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता ही है।

…आचार्य

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