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New Delhi
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माँ बगलामुखी साधना पीठ

पीठ ≫ मंदिर दर्शन

पीताम्बरा माता मंदिर

दर्शन समय

सुबह प्रातः 5:00 बजे मंगल आरती, भगवती
स्नान, वस्त्र धारण, सिंगार, भोग अर्पण;
सुबह प्रातः 7:15 बजे भगवती आरती;
दोपहर 12:00 बजे मंदिर बंद।
संध्या 4:30 बजे माता मंदिर दर्शन व 6:30 बजे आरती;
8:00 बजे रोट का भोग, 9:00 बजे रात्रि शयन।

देवी का रात्री पूजन

प्रति मंगल व रविवार

सर्वजन लाभ हेतु साघक, आचार्य व याचना
कर्ताओं के लिए रात्रि ११ बजे मंगलाचरण
के साथ द्वार उद्घाटय। देवी स्तुति-
गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग,
हवन सुबह ४ बजे देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण,
षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

नोट: बगलामुखी से संबंधित सभी पूजन व प्रयोग आदि विशेषकर रात्री में ही होते हैं और इसी आधार  पर भक्तों की भिन्न-भिन्न समस्यों  हेतु ही दिवस अथवा रात्री पूजन, आह्वानव व प्रयोग का निर्णय लिए जाता हैं। 

जग कल्याणी माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करें

समस्याओं का निदान करें

दिल्ली के कराला में स्थित माँ बगलामुखी साधन पीठ में सर्व मनोकामना पूर्ति व सभी समस्याओं के निदान हेतु हवन, पूजन, प्रयोग, साधना और विशेष विधानों का नियमित आयोजन किया जाता है। आप भी इन आयोजनों का संमलित हो सर्व सुख दायत्री भगवती माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ निम्न बाधाओं का विशेष रूप से समाधान होता हैं।

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बगलामुखी अपने उपासक के दुश्मन को गतिहीन बना देती है। सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाली महाशक्ति देवी उपासक के शत्रुओं के कार्यों और उनके वाचन के संदर्भ में लगाम लगाने का आशीर्वाद देती है।

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भगवती बगलामुखी अपनी आपार शक्ति से भक्तों के असाध्य रोगों को शीघ्र आती शीघ्र साध लेती हैं और उन्हों एक स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। स्वस्थ जीवन ही सफलता की प्रथम सीढ़ी हैं।

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कर्ज मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है। कर्ज से मुक्ति अर्थात अपमान से मुक्ति। जब कर्ज कष्ट बन जाए तब माँ बगलामुखी उन लोगों की अति सहायता करती है जो धन, व्यापार और वित्त बाधाओं के कारण कर्ज में डूबे हुए हैं। माँ कर्ज मुक्ति व धन वृद्धि मे सहायक हैं।

क्या कहते हैं भक्त

I was suffering from fear of facing public whereas all my work is to keep meeting new people and often

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Monika Khatri

Public Communicator

My husband and me have gone through a tough time in last few years but in this March, a contacted

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Chandani Goel

House Wife

Don't know what happened but I started losing confidence in my law career. I have been a positive person my

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Jagmohan Mehat

Advocate

नमस्कार गुरु जी आपके सानिध्य के आने के बाद ही मेरे जीवन में सफलता आना शुरू हुई है. मैं आपका

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रोहित गुप्ता

व्यापारी, भोपाल
सभी

पूजन प्रकार

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आसुरी बगलामुखी प्रयोग

शत्रुओं के पूर्णत: शमन के लिए यह विशेष एवं उच्च कोटि का बगलामुखी तंत्र प्रयोग है। इसके प्रभाव से शत्रु का बचना असंभव है।
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बगलामुखी प्रत्यंगिरा कवच

भगवती का यह कवच शत्रु के विद्वेषण, आकर्षण, उच्चाटन, मारण तथा स्तम्भन आदि प्रयोगों से भक्त को मुक्ति दिलवाता है।
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विपरीत प्रत्यंगरा प्रयोग

भूत-प्रेत, तत्रं-मत्रं प्रयोग को वापस भेजने हेतु बगला विपरीत-प्रत्यंगिरा का अनुष्ठान दुष्टों का नाश कर सरे कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
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पञ्च-अस्त्र प्रयोग

संपत्ति से जुड़े विवाद के पूर्ण समाधान के लिए भगवती बगलामुखी का पञ्च-अस्त्र प्रयोग-षोडशौपचार सबसे सटीक मन गया है।
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बंधक मुक्ति प्रयोग

कानूनी सजा व बंध-मुक्ति या जमानत पर रिहा होने हेतु बगलामुखी बंधक मुक्ति प्रयोग पीड़ित को शत्रु-षड़यंत्र से मुक्ति मिलती है।
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बगलामुखी-दण्डाधिकारी भैरव पूजन

कानूनी कार्यवाही में जीत के लिए भगवती बगलामुखी और दण्डाधिकारी भैरव पूजन-षोडशोपचार की मान्यता सर्वव्यापी है।
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मंगला-बगला प्रयोग

किसी भी स्त्री-पुरुष के विवाह में हो रही देरी के समाधान हेतु महादेवी मंगला-बगला प्रयोग को अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
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बगलामुखी विद्वेषण प्रयोग

बगलामुखी का यह प्रयोग आपके शत्रुओं के दल में आपस में युद्ध करा देता है। यही बगलामुखी प्रयोग तलाक आदि के लिए भी किया जाता है।
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बगलामुखी तत्रं प्रयोग

विशेष एवं उच्चकोटि का यह भगवती बगलामुखी प्रयोग भक्त पर हुए किसी भी तरह के अभिचार कर्म से मुक्त करने में सक्षम है।
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बगला व पंज्जर स्त्रोत प्रयोग

भगवती बगलामुखी व पंज्जर स्त्रोत प्रयोग भक्त के जीवन में आ रही आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है।
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बागला-पशुपती आह्वान

यह बगलामुखी प्रयोग उन लोगों के लिए लाभकारी है जिन्हें विदेश जाने मैं कई सारी समस्याओं का सामना करना पद रहा है।
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राज्य-पद प्राप्ति प्रयोग

राज बगलामुखी व राज्य राजेश्वरी प्रयोग राज्य व सरकारी नौकरी प्राप्ति और चुनाव में टिकिट प्राप्त करने व विजय लिया किया जाता है।
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पताका व बगलामुखी

नौकरी हेतु पताका व बगलामुखी षोडशोपचार पूजनअत्यधिक प्रसिद्ध है। अतः ये प्रयोग भी नौकरी व कैरियर हेतु श्रेष्ठ है।
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पताका षोडशोपचार पूजन

बगलामुखी षोडशोपचार पूजन व पताका षोडशोपचार पूजन व पताका अर्पण से रोग के इनफ़ेक्शन में तुरंत लाभ दैखा गया है।
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योनी-हवनकुंड पूजन

संतान प्राप्ति हेतु योनी-हवन कुंड पूजन की अत्यधिक मान्यता है। महादेवी के इस प्रयोग से हर तरह के कोख-बंधन खुल जाते हैं।
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जजमानो के लिए

पूजा विधान

आपकी परिस्थिति और उपलब्ध समय के अनुसर आप छोटी और बड़ी दोनों तरह की पूजाओं का माध्यम  माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप छोटी पूजा कराना चाहते हैं तो पंचोपचार पूजन विधि का पालन कर सकते हैं, यदि विस्तृत पूजा कराने को इच्छुक है तो उसके लिए षोडशोपचार पूजन विधि का पालन करन पड़ता है। दोनों पूजाओं के चरण-दर-चरण नियम निम्नलिखित हैं:

पंचोपचार पूजन विधि

 

प्रथम उपचार: देवी को गंध (चंदन) लगाना तथा हलदी-कुमकुम चढाना

सर्वप्रथम, देवी को अनामिका से (कनिष्ठिका के समीप की उंगली से) चंदन लगाएं । इसके उपरांत दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका के बीच चुटकी भर पहले हलदी, फिर कुमकुम भगवती के चरणों में अर्पित करें।

दूसरा उपचार: देवी को पत्र-पुष्प (पल्लव) चढाना

देवी को कागज या प्लास्टिक आदि के बनावटी तथा सजावटी पुष्प अर्पित नहीं किये जाते; अपितु उन्हें नवीन (ताजे) और सात्विक पुष्प चढाएं । देवी को चढाए जाने वाले पत्र-पुष्प न सूंघें। देवी को पुष्प चढाने से पूर्व पत्र (पत्ते) चढाएं। विशिष्ट देवी-देवता को उनका तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने वाले विशिष्ट पत्र-पुष्प चढाएं जाते हैं। अत: माँ बगलामुखी पर पीले पुष्प अर्पण किये जाते हैं।

तीसरा उपचार: देवी को धूप दिखाना (अथवा अगरबत्ती दिखाना)

देवी को धूप दिखाते समय धुएं को हाथ से न फैलाएं। धूप दिखाने के उपरांत देवी का विशिष्ट तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने हेतु विशिष्ट सुगंध की अगरबत्तियों से उनकी आरती उतारें।

धूप दिखाते या अगरबत्ती घुमाते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं।

चौथा उपचार: देवता की दीप-आरती करना

दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें। दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं। दीप जलाने के संदर्भ में ध्यान में रखने योग्य सूत्र:

1. दीप प्रज्वलित करने हेतु एक दीप से दूसरा दीप न जलाएं।
2, तेल के दीप से घी का दीप न जलाएं।
3. पूजा घर मे प्रतिदिन तेल के दीप की नई बाती जलाएं।

पांचवा उपचार: देवता को नैवेद्य निवेदित करना

देवी के लिए नैवेद्य के पदार्थ बनाते समय मिर्च, नमक और तेल का प्रयोग अल्प मात्रा में करें और घी जैसे सात्विक पदार्थों का प्रयोग अधिक करें। नैवेद्य के लिए सिद्ध (तैयार) की गई थाली में नमक न परोसें। भगवती को नैवेद्य निवेदित करने से पहले अन्न ढककर रखना चाहिए। नैवेद्य समर्पण में सर्वप्रथम इष्टदेवता या इष्टदेवी से प्रार्थना कर भगवती के समक्ष भूमि पर जल से चौकोर मंडल बनाएं तथा उस पर नैवेद्य की थाली रखें। नैवेद्य समर्पण में थाली के सर्व ओर घडी के कांटे की दिशा में एक ही बार जल का मंडल बनाएं। पुनः विपरीत दिशा में जल का मंडल न बनाएं। नैवेद्य निवेदित करते समय ऐसा भाव रखें कि ‘हमारे द्वारा अर्पित नैवेद्य माँ बगलामुखी तक पहुंच रहा है तथा देवी उसे ग्रहण कर रही हैं।’

देवी पूजन के उपरांत किए जानेवाले कृत्य

यद्यपि पंचोपचार पूजन में ‘कर्पूरदीप जलाना” यह उपचार नहीं है, तथापि कर्पूर की सात्विकता के कारण उस का दीप जलाने से सात्विकता प्राप्त होने में सहायता मिलती है। अतएव नैवेद्य दिखाने के उपरांत कर्पूरदीप जलाएं। शंखनाद कर देवी की भावपूर्वक आरती उतारें। आरती ग्रहण करने के उपरांत नाक के मूल पर (आज्ञाचक्र पर) विभूति लगाएं और तीन बार तीर्थ प्राशन करें। अंत में प्रसाद ग्रहण करें तथा उसके उपरांत हाथ धोएं)


षोडशोपचार पूजन विधि

 

प्रथम उपचार: देवी का आवाहन करना (देवी को बुलाना)

देवी अपने अंग, परिवार, आयुध और शक्ति सहित पधारें तथा मूर्ति में प्रतिष्ठित होकर हमारी पूजा ग्रहण करें। इस हेतु संपूर्ण शरणागतभाव से देवी से प्रार्थना करना, अर्थात उनका आह्वान करना। आह्वान के समय हाथ में चंदन, अक्षत एवं तुलसीदल अथवा पुष्प लें। आह्वान के बाद देवी का नाम लेकर अंत में ‘नम:” बोलते हुए उन्हें चंदन, अक्षत, तुलसीदिल अथवा पुष्प अर्पित कर हाथ जोड़ें।

दूसरा उपचार: देवी को आसन (विराजमान होने हेतु स्थान) देना

देवता के आगमन पर उन्हें विराजमान होने के लिए सुंदर आसन दिया है, ऐसी कल्पना कर विशिष्ट देवता को प्रिय पत्र-पुष्प आदि अथवा अक्षत अर्पित करें ।

तीसरा उपचार: पाद्य (देवी को चरण धोने के लिए जल देना; पाद-प्रक्षालन)

देवता को ताम्रपात्र में रखकर उनके चरणों पर आचमनी से जल चढ़ाएं।

चौथा उपचार: अर्घ्य (देवी को हाथ धोने के लिए जल देना; हस्त-प्रक्षालन)

आचमनी में जल लेकर उसमें चंदन, अक्षत तथा पुष्प डालकर, उसे मूर्ति के हाथ पर चढ़ाएं ।

पांचवां उपचार: आचमन (देवी को कुल्ला करने के लिए जल देना; मुख-प्रक्षालन)

आचमनी में कर्पूर-मिश्रित जल लेकर, उसे देवता को अर्पित करने के लिए ताम्रपात्र में छोड़ें।

छठा उपचार: स्नान (देवी पर जल चढ़ाना)

धातु की मूर्ति, यंत्र, शालिग्राम इत्यादि हों, तो उन पर जल चढ़ाएं। मिट्टी की मूर्ति हो, तो पुष्प अथवा तुलसीदल से केवल जल छिड़कें। चित्र हो, तो पहले उसे सूखे वस्त्र से पोंछ लें। फिर गीले कपड़े से, पुन: सूखे कपड़े से पोंछें। देवताओं की प्रतिमाओं को पोंछने के लिए प्रयुक्त वस्त्र स्वच्छ हो। वस्त्र नया हो, तो एक-दो बार पानी में भिगोकर तथा सुखाकर प्रयोग करें। अपने कंधे के उपरने से अथवा धारण किए वस्त्र से देवताओं को न पोंछें।

अ. देवी को पहले पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके अंतर्गत दूध, दही, घी, मधु तथा शक्कर से क्रमानुसार स्नान करवाएं। एक पदार्थ से स्नान करवाने के उपरांत तथा दूसरे पदार्थ से स्नान करवाने से पूर्व जल चढ़ाएं। उदाहरण के लिए दूध से स्नान करवाने के उपरांत तथा दही से स्नान करवाने से पूर्व जल चढ़ाएं।
आ. फिर देवी को चंदन तथा कर्पूर-मिश्रित जल से स्नान करवाएं ।
इ. आचमनी से जल चढ़ाकर सुगंधित द्रव्य-मिश्रित जल से स्नान करवाएं ।
ई. देवी को उष्णोदक से स्नान करवाएं । उष्णोदक अर्थात अत्यधिक गरम नहीं बल्कि गुनगुना पानी ।
उ. देवी को सुगंधित द्रव्य-मिश्रित जल से स्नान करवाने के उपरांत गुनगुना जल ड़ालकर महाभिषेक स्नान करवाएं। महाभिषेक करते समय देवी पर धीमी गति की निरंतर धारा पड़ती रहे इसका ध्यान रखें। इसके लिए अभिषेकपात्र का प्रयोग करें। संभव हो तो महाभिषेक के समय विविध सूक्तों का उच्चारण करें।
ऊ. महाभिषेक के उपरांत पुन: आचमन के लिए ताम्रपात्र में जल छोड़ें तथा देवी की प्रतिमा को पोंछकर रखें ।

सातवां उपचार: देवी को वस्त्र देना

देवी को कपास के दो वस्त्र अर्पित करें। एक वस्त्र देवी के गले में अलंकार के समान पहनाएं तथा दूसरा देवी के चरणों में रखें।

आठवां उपचार: सौभाग्य सूत्र अर्पण

देवताओं के षोडशोपचार पूजन में जनेऊ अर्पण किया जाता है और देवी के षोडशोपचार पूजन में  सौभाग्य सूत्र।

नौंवा उपचार: गंधाक्षत

रोली, हल्दी,चन्दन, अबीर,गुलाल, अक्षत (अखंडित चावल)

दसवां उपचार: पुष्प

फूल माला (देवी की पसंद के फूल और उसकी माला)

ग्यारहवां उपचार: धूप

देवी को धूपबत्ती दिखाना

बारहवांउपचार: दीप

दीपक (शुद्ध घी का इस्तेमाल करें )

तेरहवां उपचार: नैवेद्य

भगवान को मिष्ठान का भोग लगाया जाता है इसको ही नैवेद्य कहते हैं |

चौदहवां उपचार: देवीको मनपूर्वक नमस्कार करना

पंद्रहवां उपचार: परिक्रमा करना

नमस्कार के उपरांत देवी के चारों ओर परिक्रमा करें। परिक्रमा करने की सुविधा न हो, तो अपने स्थान पर ही खड़े होकर तीन बार घूम जाएं।

सोलहवां उपचार: मंत्रपुष्पांजलि

परिक्रमा के उपरांत मंत्रपुष्प-उच्चारण कर, देवी को अक्षत अर्पित करें। फिर पूजा में हमसे हुई ज्ञात-अज्ञात चूकों तथा त्रुटियों के लिए अंत में देवी से क्षमा मांगें और पूजा का समापन करें। अंत में विभूति लगाएं, तीर्थ प्राशन करें और प्रसाद ग्रहण करें।

विशेष सूचना

मंगलवार और रविवार रात्रि विशेष भगवती बगलामुखी का प्रयोग होता है। जो भी अपनीं समस्याओं का निदान हेतु व हवन, पूजन, प्रयोग, और विशेष विघान हेतु आते हैं, माँ भगवती उनकी हरेक मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। यहाँ दैत्य गुरू शुक्राचार्य तपोभूमि पर स्थित माँ बगलामुखी साघना पीठ मंदिर परिसर भक्तों के लिए विशेष मंगलवार रात्रि को पूर्ण रात्रि खूला रहता है। जजमान यहाँ उपस्थित आचार्यों से अपनी समस्या-सम्बन्धित संकल्प देकर पूजा, पाठ, यज्ञ, प्रयोग, देवी अभिषेक, ध्वज आदि विघान व तांत्रिक प्रयोग कराते हैं।

पीठ में व्यवस्थायें – यहा आने वाले लोगों के लिए खाने-पीने, चाय,  समोसा,  नाश्ता के लिए दुकान हैं जो पूरी रात्रि भक्तों के लिए खूली रहतीं हैं। पूजन से सम्बन्धित सामग्री के लिए अलग दुकान है। इन दुकानों से हवन-सामग्री, अभिषेक सम्बन्धित सामग्री, देवी के वस्त्र, प्रसाद, ध्वज, पुष्प-माला व पुस्तक आदि सभी उपयोगी वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है। आप साघना हेतु आसन व अन्य अंग वस्त्रों को जेसै की पीली धोती, कुड़ता, स्त्रीयो के लिए पीली साड़ी, साल, सलवार-सूट आदि पीले वस्त्रों को भी इन्ही दुकानों से प्राप्त कर सकते हैं।

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज,  देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

मंदिर परिसर में विशेष मंगलवार, रविवार रात्रि ८ बजे से ही भक्तों का आना प्रारंभ हो जाता हैं। वे देवी पूजन से सम्बन्धित पाठ-पूजन हेतु  रसीद प्राप्त कार्डे ते हैं  तथा आचार्यों से अपने उद्देश्य हेतु पाठ, पूजन, यज्ञ तांत्रिक प्रयोग कराते हैं व जो साघक है रात्रि में वह जप पाठ पूजन आदि स्यम् ही करते है। विशेष उद्देश्य हेतु व परिस्थितियों को समझ आचार्य जी ख़ुद भी समस्या के निदान हेतु पूजा, पाठ, प्रयोग बताते है। सलाह हेतु लोग निर्देशों का पालन करते है।

कैसे पहुँचें

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फ़ोन

+91-9810487266
+91-7011438360

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पता

बगलामुखी साधना पीठ
कंझावला औद्योगिक क्षेत्र,
रूपाली एन्क्लेव,
कराला, दिल्ली 110081

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