यह एक विशेष उच्च कोटि का तंत्र प्रयोग है। जब भगवती असुरों का वध करते-करते उनके संघार हेतु क्रोधित हुईं तब असुरों ने भगवती का क्रोध को जान कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रूद्र, सदाशिव; पाँचों का पंच-अस्त्रों के रूप में आह्वान किया तब भगवती भयानक रूप धारण कर आसुरी बगला के विराट रूप में प्ररकट हो गयीं। वे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रूद्र, और सदाशीव अस्त्र-रूपों को पकड़ अपना कमला आसन बना कर बैठ गयीं।
अंत: पंच प्रेत आसन पर बिराजमान होकर कलल असुर की जिह्वा पकड़ बज्र से प्रहार कर उसका सघारं कर दिया। उस समय माँ स्वयं ही असुर की समस्त शक्तियों को छीनकर आसुरी रूप में प्रकट हुयीं और उसे मार पंच-प्रेत-आसन विराजित भगवती आसुरी बगलामुखी कहलाईं कुछे एक दुष्ट साधक ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि का आह्वान कर स्वयंम् का बचाव कर लेते है, तथा दूसरो को शैतानी विद्या के माध्यम से कष्ट पहुँचाते हैं। इसके लिए वे आसुरी बगलामुखी का विशेष व उच्चकोटि के तंत्र-अस्त्र का प्रयोग करते हैं जिसके प्रभाव से बचना असंभव है। इसे ही अभिचार कर्म की संज्ञा दी गयी है। अभिचार कर्म से मुक्ती हेतु आसुरी बगलामुखी प्रयोग को सबमे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह अघोरी, शमशानी, आदि का भी नाश कर देतीं है।
भगवती बगलामुखी के सभी शस्त्रों में इस कवच के पाठ से हर प्रकार से सुरक्षा होती है। शत्रु के द्वारा विद्वेषण, आकर्षण, उच्चाटन, मारण और स्तम्भन करने पर भी इस कवच के होने से किसी तरह का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। भगवती बगलामुखी का ये प्रत्यंगिरा-शस्त्र सर्व दुष्टों का नाश करने व हरने वाला और सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला है। यह प्रयोग सभी प्रकार के भक्त व शरणागतों का हित करने वाला है। इस कवच के पाठ से भयंकर से भयंकर तंत्र प्रयोग को भी नष्ट किया जा सकता है।
बगलामुखी विपरीत-प्रत्यंगिरा का अनुष्ठान शत्रु की क्रिया को उसी पर लौटाने हेतु किया जाता है। जब दुष्टों द्वारा कोई तांत्रिक-विधान कर दिया जाता है तो जीवन कष्टमय हो जाता है। तांत्रिक बली, भोग, यज्ञ आदी से, व मुर्दे की जलती आग में, क़ब्रिस्तान में, व खोपड़ी या फिर गंदगी खाते हुये कोई अघोरी भी कोई प्रयोग करे तब माँ बगलामुखी का विपरीत-प्रत्यंगरा प्रयोग से सारा प्रहार उसी तांत्रिक पर जा पड़ता है। यही इस प्रयोग की विशेषता है।
संपत्ति विवाद में विजयी हेतु भगवती बगलामुखी का पंच-अस्त्र प्रयोग सबसे सटीक मन गया है। भगवती बगलामुखी-षोडशौपचार पूजन, बगलामुखी सवा लाख पंच-अस्त्र मत्रं जप, यज्ञ, हवन, दशांश, आहूती, तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण-भोज, रात्रि पूजन, देवी अभिषेक व पुन: षोड़सौपचार पूजन।
क़ानून सजा से बचाव, मुक्ती व ज़मानत पर रिहा होने हेतु बगलामुखी का यह प्रयोग सर्वोत्तम मन गया गया है। यह प्रयोग बंधक को मुक्ती कराता है ख़ासकर उस व्यक्ति को जिसे किसी षड़यंत्र के तहत कानूनी दव-पेच में फसा दिया गया हो। इस प्रयोग को कराने पर लाभ अवश्य प्राप्त होता है परन्तु जो अपराधी है व किसी अपराधिक प्रकरण में लिप्त है तब असफलता हो सकती है; अन्यथा हर हालत में बगलामुखी प्रयोग से लाभ होता है। बगलामुखी-षोडशौपचार पूजन, बगलामुखी सवा लाख जप, यज्ञ, हवन, दशांश, आहूती, तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण-भोज, रात्रि-पूजन व देवी अभिषेक एवं पुन: षोड़सौपचार पूजन।
बगलामुखी-दण्डाधिकारी भैरव पूजन कोर्ट-कचहरी, मुकदमे में विजयी प्राप्ति हेतु विशेष माना गया है। माँ बगलामुखी और दण्डाधिकारी भैरव पूजन, षोडशोपचार पश्चात जप व प्रयोग करने का विघान अर्ध रात्रि को होता है। हवन, दशांश, होम व फल, बली व सयन पश्चात मंगलाचरण-मंगला आरती, देवी स्नान, देवी अभिषेक, नव-वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन(आरती), पताका-पुजन व विजयी होने हेतु पताका रोपण.
शीघ्र विवाह हेतु भगवती बगलामुखी का मंगला-बगला प्रयोग अत्यधिक प्रभाव शाली है। कुछ लोग जलन की वजह से विवाह-बंधन प्रयोग कराते हैं।अंत: जिस व्यक्ति या वजह के कारण विवाह नहीं हो पाता तब बगलामुखी के अभिचार-कर्म मुक्ती प्रयोग उपरांत मंगला गौरी का पाठ व प्रयोग अत्यधिक प्रभाव शाली है।
यह प्रयोग शत्रुओं के दल में आपस में युद्ध करा देता है। खासकर तलाक़ आदि या फिर जो लोग मिलकर एक ग्रुप बनाकर किसी को नुक़सान पहुँचा रहा हों तब ऐसे लोगों के शमन हेतु यह प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विशेष व उच्च कोटि के इस प्रयोग को शत्रु-शमन व घर में भूत-प्रेत, ज़िनाद, ब्रह्मराक्छस, काला जादू, टोटका आदि अभिचार कर्म की शांति हेतु संस्तुत किया जाता है। इस प्रयोग में भगवती बगलामुखी का पूजन, तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण-भोज, स्नान, पताका चढ़ाना सम्मलित हैं। अगर पीड़ित तत्रं के प्रभाव में हो तो उसका उबटन सतनजा (सात अनोजों का मिश्रण) से कराया जाता है, यह एक त्रिकोणीय पुजा व प्रयोग है जो तीन बगलामुखी साघक और आचार्य द्वारा सम्पन्न होती है और यदि इसमें शमशान पूजन और ब्रह्मराक्छस-समाधान भी हैं तो बनारस जाकर संघारक भैरव आह्वान व पंच-बलि भी करनी होती है।
भगवती बगलामुखी प्रयोग व पंज्जर स्त्रोत प्रयोग से आर्थिक नुक़सान की वसूली के लिए अत्यधिक प्रभाव शाली है। इस प्रयोग से आर्थिक नुक़सान की भरपाई होती है।
माँ पिताम्बरा बगलामुखी का प्रयोग, भगवान पशुपती आह्वान व षोडशोपचार पश्चात जप; इस प्रयोग को अर्ध-रात्रि में करने का विधान है। हवन, दशांश, होम, यज्ञ, दशांश, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोज, बली व सयन पश्चात मंगलाचरण-मंगला आरती, देवी-स्नान, देवी-अभिषेक, नव-वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन (आरती), पताका-पुजन व विजयी हेतू पताका रोपण। विदेश जाने हेतु यह प्रयोग अत्यन प्रभावशाली है।
राज्य-पद प्राप्ति अर्थात सरकारी नौकरी व चुनाव हेतु टिकट व जीत, नेता, मंत्री आदि के लिए राज बगलामुखी व राज्य राजेश्वरी का प्रयोग किया जाता है। राजनेताओं के लिए यह प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग अत्यधिक सफल होता है तथा सरकारी नौकरी प्राप्ति लिए यही प्रयोग सहायक है।
नौकरी हेतु पताका व बगलामुखी-षोडशोपचार पूजन अत्यधिक प्रसिद्ध है। अंत: ये प्रयोग भी नौकरी व कैरियर हैतू श्रेष्ठ है।
बगलामुखी षोडशोपचार पूजन व पताका षोडशोपचार पूजन व पताका-चढाने से रोग के इनफ़ेक्शन में तुरंत लाभ देखा गया है।
कुख-बंधन कुख को बांध देता है ताकी संतान न हो सके। इस तराह के प्रयोग से मुक्ती अभिचार कर्म ही है। तत्रं के इस प्रयोग में बगलामुखी षोडश्-मातृकाऔ का पूजन व बगलामुखी षोडशोपचार पूजन तथा इसके पश्चात योनी हवनकुंड में यज्ञ संतान में सफलता देता है। कई प्रकरणों में शावर विद्धया के प्रयोग से सफलता प्राप्त हो जाती है, परन्तु पहले मातृकाऔ का पूजन व बगलामुखी षोडशोपचार पूजन पश्चात संतान हेतु शाबर प्रयोग से संतान प्राप्ति के योग बन जाते है।
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