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भगवती बगलामुखी की आरतियों का चलन आजकल हर जगह चल रहा है। आरतियाँ भी देवी बगलामुखी की संस्कृति में हैं और यही विचार कर गुरू देव ने हिंदी में आरती कि रचना की जिससे कि लोग भगवती की उपासना में और आनंद प्राप्त कर सकें और श्रेष्ठ फल प्राप्त कर सकें।

आरती बगलामुखी…………………।

ओम जय बंगले बर दे ,मईया जय बंगले बर दे।

आध शक्ति जगजननी ,२  जय सुख दे बर दे।

मईया जय …………………………………………१

पीत पुष्प में वास तुम्हारा पीत हि रंग भाता।

पीत वस्त्र तोहे शौभत,मईया पीत हि भोग चड़ें।

मईया जय …………………………………………२

स्वर्ण सिंहासन राजत ,षोडश दल पीठ वसे।

बाजत ताल मृदंगा, भैरव नृत्य करें।

मईया जय …………………………………………३

भूत प्रेत बृहम् राक्षस ,कृत्या सघारं करें।

दुष्ट दलन को हरतीं ,शत्रु भय त्रातें।

मईया मईया…………………………………  ४

 त्रिपुर सुंदरी राज्य राजेशवरी ,बगलामुखी माता।

वर पाकर मईया तेरा ,राज्य कृपा से सुख पाते।

मईया जय …………………………………………५

ह्लीं बीज पर वास तुम्हारा, बज्र दुष्टों पर प्रहार करे।

है जन्नी स्तम्भन शक्ति ,भय क्षण में दूर करें।

मईया जय…………………………………………….६

वदीं गृह में रहकर, जो तुझको ध्याता ।

तेरी कृपा से मईया ,शीघ्र मुक्ति पाता

मईया जय …………………………………………७

 दुष्ट शत्रु षड्यंत्रीयो का  ,दमन शमन करो माँ

शत्रु,कर्ज रोग से, मुक्ती तू ही करतीं माता ।

मईया जय…………………………………………….८

बगला रूप निरंजन, सुख सम्पत्ति पाते।

सूर्य चन्द्र तोहै ध्यावत ,नारद ऋषि  गाते।

मईया जय …………………………………………९

राज्य तुम्हारा, काज्य तुमहारा ,सब संसार तुम्हारा ।

ललना ,पलना ,वलना भेद जो ये जाने , मोक्छ  वही पाते ।

मईया जय…………………………………………….१०

तुम हि शारदे भवानी , तुम लक्ष्मी माता।

जय जय कार लगाओ , जय सुख दे वर दे।

मईया जय …………………………………………११

ब्रह्माणी रूद्राणि ,तुम कमला रानी।

तुम हो जग की माता , तुम जग कल्याणी।

मईया जय …………………………………………१२

श्री बगलामुखी की आरती ,जो कोई नर गावे।

कहत अतुल्य नाथ स्वामी ,मनवाँक्षित फल पावें।

मईया जय………..………………………………१३

॥इति शुभम्॥

                नव यौवन संम्पन्नां सर्वाभंरण भूषिताम् ।

              पीत माल्यानुवसंना स्मरे तां बगलामुखीम् ॥

            नमामि नमामि पीताम्बरे नमामि बगले नमों नम:।

                   नमामि हरिद्रे नमामि बगले नमो नम:॥

 

उक्त श्लोक पड़ते हुए जल के लोटे को ज्योति के उपर से उतार कर मैय्या के चरणों में या धारा बनाते हुए छोड़ दें। आरती प्राप्ती के पश्चात पुष्प हाथ में लेकर। पीताम्बरी नवधा अराधना पुष्पों से करे।

बगला नवधा अराधना।

या देवी सर्वभूतेषु पीतरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु शत्रुहतां संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु प्रेतनाशनी संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु रोगनाशिनी   संस्थिता  संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु सर्वभयनाशनी  संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु सर्व सम्पत्तिदायनी  संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु मंगल कारिणी  संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु मोक्छ दायिनी  संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

या देवी सर्वभूतेषु बगलारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

बगलामुखी पीठ मंदिर में साक्षात् अनुभव अब तक का आरती के समय माँ को हम लोग साक्षात्  अनुभव करते आये है ,व भगवती बगलामुखी की आरती के समय छोटी सी तृटी को भी देवी छमा नहीं करतीं। शाबर मत्रं ,प्राथना और आरती आदी को बगेर जाने समझे तोड़ मरोड़ कर अपने मन मुताबिक़ कुछ भी उट पटागं नहीं गाना चाहिए अन्यथा आशीर्वाद की जगह श्रापित होकर दुख के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगता

…आचार्य