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वेद से लेकर तंत्र ग्रंथों में कृत्या का वर्णन प्राप्त होता है। क्या वास्तव में आज उसका कोई प्रमाण है या फिर मात्र… आज कैसे उसका प्रमाण सिद्ध हो सकता है? कृपया बताएं।

                                                                               (धर्मेन्द्र पाठक, भुवनेश्वर उडिसा)

 

“आचार्य जी आप तो माँ बगलामुखी पीठाधीशवर है तब कृत्या निवारण प्रयोग क्या है विधान सहित बताने की कृपा करें।”

(रामपाल शर्मा पानीपत हरियाणा)

 

“क्या कृत्या साधना करने से कोई किसी को नुक़सान पहुँचा सकता है तब में यह साधना केसे करूँ कृपया बतायें।“

(पंकज पाण्डेय, बेगूसराय बिहार)

 

“कृत्या जगाने से भी कोई नुक़सान हो सकता है? आचार्य जी क्या कृत्या को प्राप्ति कर संसार में फ़ायदा नही उठाया जा सकता। कृपया बताये।“

                                       (चौधरी संसार सिंह( नोएडा उ.प्र.)

कृत्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. तंत्र के अनुसार एक राक्षसी, जिसे तांत्रिक लोग अपने अनुष्ठान से उत्पन्न करके किसी शत्रु को विनष्ट करने के लिये भेजते हैं । यह बहुत भयंकर मानी जाती है । इसका वर्णन वेदों तक में आया है ।

२. अभिचार । ३. काम । कर्म (को॰) । ४. जादू (को॰) ।

५. दुष्टा या कर्कशा स्त्री । यौ॰— कत्यादूषण ।

कृति छेदने ‘इस धातु से कृत्या शब्द बनता है जिसका अर्थ हिंसात्मक कार्य होता है। पूर्व में अम्बरीष के ऊपर दुर्वासा ने ऐसा ही किया था तथा शंकर दिग्विजय में आचार्य शंकर के ऊपर  भी अभिचार किया था। स्यम् तुलसी दास भाषा रामायण  के कर्ता के ऊपर भी ऐसा किया गया था पण्डित श्रीधर गणेश वाजे बी.ए.कृत इंग्लिश मराठी डिक्शनरी में कृत्या का अर्थ ऐसा ही मिलता है। कृत्या-ए फ़ी-मेल डी -टी टू हूम सैक्रीफाइ- सेज् आर आफर्ड फार डिस्ट्रिक्टव आर मैजिकल पर्पजेस’ कृत्या वह एक स्त्री देवता हैं जिसकी पूजा रक्त चड़ाया जाता जिसमें बलि बदला अपने विशेष उद्देश्य विनाश के लिए ही किया जाता है।

(कृत्या क्या है.?  लेख संग्रह राष्ट्र गुरू श्री अनन्त श्री स्वामी जी महाराज दतिया बगलामुखी पीठ,अभिचारिक प्रकरण पृष्ठ ५१से ५६)

तांत्रिक कृत्या एक आसुरी विद्या  है जिंसें जगाना साधारण नहीं और ना ही इसका प्रयोग व प्रयोग करता अगर ऐसा करता भी है तव कीसी प्रकार से या कारण से तांत्रिक का उदेश्य पूर्ण ना होने पर तांत्रिक खूद ही शिकार हो जाता है विशेष कर आज ये शाबर मंत्रों के माध्यम से कुछेक ही तांत्रिक है जो इस कार्य को सफलता पूर्वक करते है कुछ लोग घाल,कुणाला,मूठ आदि मारण कर्मों के लिए यह प्रयोग करते हैं

कथा

कातंलौह  नामक दैत्य जो कामदेव के भस्म होने से धरती के चतुर्थ आवरण जहां लौह स्पात नामक धातु पाई जाती है कामदेव का शरीर भस्म होते समय पिघल कर ,माँस मज्जा अस्ती सब एकत्रित बहता हुआ वह अंडाकार के रूप में रह गया जिसमें स्पंदन होने पर काममदेव की पत्नी रती के रुदन के कारण कामदेव का बह अंश ज़मीन से पैदा हुआ था वही कान्त लौह (लौहपुरुष) नामक दैत्य के नाम से जाना गया उसी ने सहस्रों वर्षों तक सावधान कर सृष्टि के ईस काल चक्र (समय ) को रोकने के उद्देश्य से महादेव से बरदान  प्राप्त किया व देवताओं को अस्थिर व व उनका वल राज्य पूरी तरहा उनका नाशकरने के उद्देश्य से ही अष्ट कृत्याऔ को दैत्य गुरू शुक्राचार्य से यज्ञ दुारा प्राप्त कीया था।

(बगला कथा तंत्रोंदय ५६३/३४,८९)

तांत्रिक डायरी १७ सितमबर  २००४  घटना का संक्षेप में ब्यौरा

कृत्या एक सत्य घटना, पत्र ( दिनेश पाण्डेय ग्वालियर म.प्र)

जब प्रमोद ने मंदिर से रखीं वह कृत्या की डिब्बियाँ चुरा कर उसमें रखीं लवंग जो चुरा कर खा ली जिन्हें रात ही गुरू देव पकडं कर लाये थे ,लवंग में पड़कर लवंग से लवंग चिपकाकर गुरू देव मेरे ही सामने लाये थे। लम्बे समय से वह कृत्या उस घर में तांडव कर रही थी और जब परिवार ज़्यादा ही परेशान हो गया तब गुरू देव को उनकी प्रार्थना पर जाना ही पड़ा  चौधरी जो एक बड़ी राजनैतिक पार्टी के नेता है (नाम स्पष्ट करना उद्देश्य नहीं)वही हमें ले गए थे ,

जहां बंद पंखा अचानक चालू हो गया था और चीख रहा था की औघड़ तू यहाँ से भाग जा क्यों आया है यहा पुरा परिवार भय से काँप रहा था पंखा तेज गति से चलते हुए टूटकर जा गिरा मानो वह हमें धमका रहा थी हुक्म सिंह के साथ और भी केई लोग आये थे यह मकान भी बेसमेंट में था।

वहाँ पूरी तराह वास्तु दोष देखा जा सकता था बाहर से T पॉइंट पर   ग़ाज़ियाबाद में बनी यह कोठी ट्रांसफ़ॉर्मर के प्लान्ट के  मालीक की पूरी तरह भूत बंगला नजर आतीं थी मकान और घर में घुसते ही यह सब हुआ ,जिंसें देख कर हम सब घर से भाग खड़े हुए

परन्तु गुरुदेव ने सबके सामने ही देखते ही देखते उस कृत्या को ततछण पकड़ कर लवंगों में कैद कर लिया सब शांत हो चुका था जिस से कोठी की कंस्ट्रक्शन कराया था उस से झगड़ा होने पर उसने ही कृत्या का आह्वान कर उस कोठी में स्थापित कर दिया था।मेरे सामने और नेता जी के सामने घटी।

यह घटना पश्चात उसी कृत्या को प्रमोद पंडित जो पुजारी था उसने लवंग चुरा कर खा लिया था और वही कृत्या अब प्रमोद के उपर सवार थीं उसने शमशान तक जाकर उसको कंट्रोल करने की कोशिश की परन्तु बह कंट्रोल नहीं हो सकीं अपने गाँव जाकर तमाम तांत्रिकों से परिवार बालों ने भी उसे ठीक कराने की कोशिश की परन्तु प्रमोद दिन पर दिन कमजोर हो रहा था जब बगलामुखी पीठ रूपाली कझाबला गुरू देव के पास उसे लाये तब जाकर उसे ठीक कीया शरीर आसानी छोड़ने को वह त्यार नहीं थी।

प्रमोद तांत्रिक बनने के उद्देश्य से तमाम साघनाये करता रहता था परन्तु कृत्या के सवार होने पर वह जब भी सोता उसके साथ बस ग़लत भोग विलास शुरू हो जाता था उसने सोना बंद कर दिया था अंधेर कमरे में रहता था बहुत ही मुश्किल कठिन समय निकला आसान नहीं था।

आज भी हमारे समाज  में ,फूला ,कंज्जरी,मंशल,आसों,जुम्मा,भूरी,कठीया,चुगानी आदि प्रकार की बहुत सी कृत्या है जिन्हें सिद्ध कर साघक दूसरो का बुरा करते हैं परन्तु उनके दुष परिणाम भी भोगने होते है।

आजकल कृत्या के उपर बहुत सारे आर्टिकल इन्टरनेट पर देखे जा सकते हैं और इंसान सिर्फ़ पावर पाने के उद्देश्य से कीसी भी स्तर तक जाने को त्यार होता है बदले के ली क्योंकि बदला मिठा होता है,परन्तु ये आसान नहीं जबतक कीसी विद्या को प्रमाण के साथ ना जाना जाये और उसके अच्छे बुरे परिणाम ना मालूम हो तब तक उसे प्राप्त करना उचित नहीं

आजकल कृत्या के उपर बहुत सारे आर्टिकल इन्टरनेट पर देखे जा सकते हैं और इंसान सिर्फ़ पावर पाने के उद्देश्य से कीसी भी स्तर तक जाने को त्यार होता है बदले के ली क्योंकि बदला मिठा होता है,परन्तु ये आसान नहीं जबतक कीसी विद्या को प्रमाण के साथ ना जाना जाये और उसके अच्छे बुरे परिणाम ना मालूम हो तब तक उसे प्राप्त करना उचित नहीं

….आचार्य