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आचार्य जी आपने कृत्या पर बताया। मैं, साधना के मंत्र जो लोग वेबसाइट, फ़ेसबुक, यूट्यूब या आज तमाम नई तांत्रिक किताबें या आर्टिकल लिखें है, सब पढ़ चुका हूँ। मैं तमाम समय और पैसा बर्बाद कर चुका हूँ पर क्या वाक़ई इन क्रियाओं में मंत्रों से साधना सम्भव है?

(आचार्य देवेन्द्र शर्मा बनारस)

मैंने  कृत्या के विषय में बहुत सुना है। आश्चर्य होता हैं कि क्या वास्तव में कृत्याऔ पर जो मत्रं या प्रक्रिया बताईं गईं हैं, अगर वे सभी सही या सटीक होतीं हैं तो लोग अब तक ना जाने क्या-क्या कर चुके होते। में एक असफल साधक हूँ और मुझे कृत्या साधना का कोई भी अनुभव प्राप्त नहीं।

(विकास पाण्डेय आगरा )

क्या हम कृत्या का अर्थ किसी डायन, चूड़ैल, भूतनी, पिशाचनी, राक्षणी, यक्षणीं या योगनी से समझें ? कृपया बताएँ।

(ब्रह्मानंद महाराज चित्रकूट)

आचार्य जी मैं कृत्याओ पर बहुत सारी क्रियाएँ आपको भेज रहा हूँ। कृपया बताएं कि जो मंत्र और साधनाएं मैं भेज रहा हूँ क्या वे सभी वास्तव में कोई विधान हैं भी या फिर इन क्रियाओं को देकर मात्र मूर्ख बनाया जा जाता है। कृपया बताएँ। आपकी अति कृपा होगी।

(सरोज सैनी साउथ दिल्ली)

वेद में तंत्र शास्त्र प्रसिद्घ बगलापद वलगा इस व्यत्यय नाम से कहा जाता है। इसका अर्थ उच्चट ने इस प्रकाक किया है -‘वलगान कृतया विशेषान भूमो निरवनितान् शत्रुभि विनाशार्थ हन्ततीति वलगहातां वलगहनम् ।’ (,य.५,अ २३. उच्चटभाष्य)

अर्थात् शत्रु के विनाश् के लिये कृत्या विशेष जो भूमि में गाड़ देते है, उन्हें नाश करने वाली महाशक्ति को बलगाह कहते हैं।

पराजयं प्राप्य पलायमानैं राक्षसैरिन्द्रा दिवधार्थमभिचार पूर्ण भूमौ निखाता अस्थिकेशनखादिपदार्था: इन्द्रादिवधार्थमभिचारूरूपेण भूमो निखाता अस्थि केशनखादिपदार्था: कृत्या विशेष वलगा : ।
अर्थात् ईन्द्र आदि देवताओं से पराजित होकर भागे राक्षसों ने देवताओं के वध के लिए अस्थि,केश ,नखादि,पदार्थों के दुबारा अभिचार कृत्या

कृत्या नाम की शक्ति को पृत्यगरा नामक शक्ति दुबारा लौटाइ जा सकती है …….ललिता सहस्र नाम महात्म्य
बिरभद्र और भद्रकाली महादेव की जटा से उत्पन्न बताया है वही तंत्रों दय अनुसार भद्रकाली हि कृत्या है जो असुरों ने देवताओं के सघारं के लिए बारम्बार प्रसन्न कर शत्रुओं के नख केश, वस्त्रों आदि पर प्रयोग करने के उद्शेय से धरतू में गाड़ दिया जिसके उपरांत जिनके नख केश वस्त्र प्रयोग में लिये गये वह उन शत्रूओ को खोज कर मार देतीं है।

इसके अलावा अन्य तांत्रिकों के बिचार में काली और काली की अन्य समस्त शक्तियों जो काली के साथ शमशानी,चूडैल ,डंकनी,शंखनि,पिशाचनी,आदि सभी जिनसे हम दूसरे को नुक़सान पहुँचाने की क्रियायें करते हैं, तथा टोने टोटका आदि प्रयोग को भी कृत्या से जोड़ देखना चाहिए ,और कुछेक तांत्रिकों के अनुसार कृत्या नामक अलग ही शक्ति है जिसके कारण स्यम् भगवती बगलामुखी की का अवतरण हुआ जो की मातृकाओं के बराबर ही शक्ति व विलोम होने पर सघारंक और प्रलय में सहायक है।

कृतया का इतिहास पर दृष्टि डालते यहा इस प्रकार के मंत्रों को देख में और अन्य साघक भी हैरान हैं परन्तु कीसी की भी क्रिया में कोई दोष निकालना उचित नहीं फीर कुछ लोग मनगढ़ंत ही क्यों ना हो…

परन्तु साघना के नाम पर ये सब वड़ा ही दुखदाई है,
वीरभद्र के बाद महादेव की जटा से जो शक्ति उत्पन्न हुई वह कृत्या ही थी जीसे स्यम् महादेव ने अगर बिरभद्र परास्त हो तब वह शक्ति युद्ध भूमि में सघारं हेतु प्रवेश करें इसी उद्देश्य से महादेव ने उसे उत्पन्न किया था।

आप लोगों ने जो मत्रं भेजें है वह पूरी तराह से कृत्या के नाम पर एक मज़ाक़ ही है।

न.(१)

ॐ कृत्या सर्व शत्रुणाँ मारय मारय हन हन ज्वालय ज्वालय जय जय साधक प्रिये ॐ स्वाहा॥ अथवा
ॐ क्लीम क्लीम शत्रुणाम मोहये उच्चाटाये मारये वचन सिद्धि मम आज्ञा पालय पालय कृत्याम सिद्धि फट।।

न.(२)

अत्यंत गोपनीय,दुर्लभ और प्राचीन कृत्या देवी मन्त्र व महाकृत्या मन्त्र साधना मन्त्र
ॐ ब्रह्मसूत्रसमस्त मम देह आवद्ध आवद्ध वज्र देह फट्
ॐ ऐम् क्लीम् ह्रीम् क्रीम ॐ फट
ॐ शिवकृत्या प्रयोगाय दस दिशा बंधाये क्रीम क्रोम फट्
ॐ रम् देहत्व रक्षा य फट्।

न.(३)

सुलेमानी कृत्या साघना
अल्लाहु मद सिल्ला ,कुरिल्ला कामान माड़ ।।
(अमुक) एर तामान कोरी,शुरोंगो खाया ।।
आल्ला मोहम्मदेर मोंत्रो पोड़ी जा बोली ताई होय ।।
पहाड़ छोटे पर्वत टोटे..(अमुक) एर छेड़ मुशिर्द ।।
आल्ला मोहोम्मदेर रेयोजे खाटे ।।

न.(४)

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु: गुरूर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
निखिल ध्यान के पश्चात् गुरु चित्र / विग्रह / यंत्र / पादुका को जल से स्नान करावें –
ओम निखिलम् स्नानाम् समर्पयामि।।

इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र से पौंछ लें निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए कुंकुम , अक्षत , पुष्प , नैवेद्य , धूप – दीप से पंचोपचार पूजन करें –
ॐ निखि…….कुंकुम समर्पयामि।
ॐ निखि ……. अक्षतान समर्पयामि।।
ॐ निखि……,,पुष्पम समर्पयामि।
ॐ निखि…..नैवेद्यम् निवेदयामि।
ॐ निखि…….धूपम् आघपयामि, दीपम् दर्शायामि। (धूप, दीप, दिखाएं)

ॐ वरूणस्योत्तम्भनमसि वरूणस्य स्कम्भ सर्जनीस्थो वरूणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरूणस्य ऋतसदनमासीत्।।
इसके पश्……….

अमुक गोत्रोत्पन्नः ( अपना गोत्र बोलें ) अमुक शर्माऽहं ( नाम बोलें ) अस्मिन शुभ मुहूर्त गुरुकृपा यथा मिलितोपचारैः कृत्या साधनां करिष्ये ।।
जल भूमि पर छोड़ दें ।

फिर कृत्या माला से निम्न मंत्र का जप 21 माला जप करें –

मंत्र

|| ॐ क्लीं क्लीं कृत्या सिद्धिं शत्रून् मोहय उच्चाटय मारय आज्ञां पालय पालय फट् ।।
उपरोक्त इस विघान में कृत्या माला कृत्या गुटका आदि और भी सामाग्री जो की कीसी कर्मकाण्ड की ही तराह संकल्प आदि कर २१ माला जप कर मछली आदि कीं वली कर शत्रू को कृत्या प्रयोग से मारने की प्रक्रिया कराई जा रही हैं उपरोक्त मंत्रों में भी अनेकों सामाग्री जो मात्र मत्रं देने वाले के पास ही मिलेगी और फीर कुछ नहीं यह सब तंत्र के नाम पर ढोंग पाखंड ही है अन्य लोग मछली, मुर्ग़ा, बकरा आदि की बली तक कराते है ।

डाक,शाक,लाँक,रात,हांक,विधुती ,क्रोधनी,जिह्वा ,ये अष्ट कृत्याओं का वर्णन प्राप्त होता है,जिन्हें कांतलौह नामक दैत्य ने उत्पन्न कीया था परन्तु दुर्वाषा रिषी ने अमरीस पर जीसे भेजा था वह विद्रुणी नामक कृत्या थी वही महादेव ने जब शती दाह के समय दक्ष प्रजापति को दण्ड हेतु महादेव ने क्रोध में आकर अपनी जटा को तोड़ शिला पर पटक दीया जिससे भयानक बिरभद्र और भयानक कृत्या भगवती भद्रकाली उत्पन्न हुई जब भगवती पार्वती ने महादेव की आज्ञ्या से काली रूप धारण कीया वही कृत्या का ही भयानक स्वरूप था।

अब समझने बाली बात कृत्या को लेकर यह है की महादेव से उत्पन्न होने पर कालाग्नी कृत्या है जिसके रिषी स्यम् महाकाल महादेव है वही अमरीस पर प्रहार करने बाले दुर्बाषा ने यज्ञ से बिद्रुणी नामक कृत्या को उत्पन्न कीया तब उसके रिषी दुर्बाषा है तथा कांत लोह ने जिन् अष्ट कृत्याओ को उत्पन्न कीया तब उसके रिषी कांत लोह नामक दैत्य है।और उसी प्रकार ध्यान मंत्रों आदि का विवरण तंत्रोंदय ,कपाल तत्रं,आसुरी संहितां आदि ग्रंथों में विवरण मिलता है फीर ये मुस्लिम तत्रं में सुलेमानी कृत्या वाक़ई हास्यास्पद है।

हरेक प्रशन का उतर आसान नहीं है हमारे समाज में तत्रं मत्र के नाम से तमाम प्रकार की लूट होती है व ज़रूर नहीं हरेक उद्देश्य से लिया हुआ संकल्प पूर्ण हो इस तराह की कोई गारंटी भी तंत्र में नहीं फीर वस तंत्र के नाम पर कुछ भी हो सकता है ,यह सत्य है की कृत्या आह्वान क्रम आसान नहीं तथा साघना जो की एक आसुरी विधान है,जिंसें आज भी तांत्रिक लोग प्रयोग करते हैं तंत्रोंदय ,कपाल तत्रं ,आसुरी संहिता में विस्तार से साघना मत्रं व प्रयोग दिये गये है तथा जिस प्रकार यहा मत्रं और साधनाओं का विधान किताबों में इन्टरनेट पर फ़ेसबुक पर प्रचार चल रहा है।यह वाक़ई हास्यास्पद और शर्मनाक है,तथा यह पूरी तराह मनगढ़ंत है में दावा करता हूँ इस प्रकार से कभी कोई साघक लाभ नहीं ले सकता और ना ही जजमान मात्र अपना नुक़सान के अलावा कुछ भी नहीं, वही अष्ट व ६४ कृत्याऔ की चर्चा अफसोस कृत्या साघना कोई आसान बात नहीं कृपया स्यम् को इस प्रकार के विधानों में समय नष्ट ना करें भगवती बगलामुखी हर हाल में शत्रु और कृत्या का नाश करने बाली महाशक्ति हैं फीर भगवती की ही अराधना साघना क्यों ना की जाए फीर भी कोशिश करूँगा संक्षिप्त में कृत्या साघना पर ज़रूर आगें लिखूँ हालाँकि कृत्या पर पुस्तक के लायक़ काफ़ी सामाग्री भी परन्तु यहाँ यह ज़रूरी है लोग इस विद्या के प्रकाशित होने पर लाभान्वित होंगे या फीर अपने विचार ज़रूर दे क्या इस विद्या क्या प्रकाशन होना क्या ठीक है।…आचार्य