
दिल्ली की राजनीति में हाल ही में एक नया अध्याय जुड़ा है, जिसमें आस्था और सत्ता का संगम साफ देखा जा सकता है। दिल्ली की नवनियुक्त मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता एक बार फिर चर्चा में हैं – लेकिन इस बार वजह कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उनकी आस्था की अभिव्यक्ति है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद रेखा गुप्ता सबसे पहले पहुंचीं कंझावला स्थित बगला देवी मंदिर। यह वही स्थान है जहां चुनाव से पहले उन्होंने मां बगलामुखी के दरबार में पर्ची लिखकर मुख्यमंत्री बनने की अर्जी लगाई थी। उस समय बहुतों ने इसे एक सामान्य धार्मिक यात्रा समझा था, लेकिन आज वही लोग कह रहे हैं – “मां ने उनकी मनोकामना सच कर दिखाई।”
मंदिर में पहुंचकर रेखा गुप्ता ने विधिवत पूजा-अर्चना की और दिल्लीवासियों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की। न केवल पूजा की, बल्कि मंदिर के भवन निर्माण के लिए ₹1 लाख का सहयोग भी घोषित किया। इसके अलावा उन्होंने मंदिर से लेकर मेन रोड तक की सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी लेने का भी भरोसा दिलाया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेखा गुप्ता यहां पहले भी कई बार आई हैं – चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और अब मुख्यमंत्री बनने के बाद भी। यह उनकी आस्था का प्रतीक है, जो सत्ता में आने के बाद भी नहीं बदली। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “यहां बहुत सारे वीआईपी लोग आते हैं, लेकिन सीएम साहिबा पहले भी आई थीं और अब भी आई हैं।”
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगता है, मां बगलामुखी उसकी हर इच्छा पूर्ण करती हैं। मंदिर की स्थापना अतुल्यनाथ महाराज ने की थी, और आज यह स्थान केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।
रेखा गुप्ता की यह यात्रा यह भी दिखाती है कि राजनीति और जनसेवा के रास्ते में भी आस्था की एक मजबूत डोर होती है, जो व्यक्ति को ज़मीन से जोड़े रखती है। दिल्ली की मुख्यमंत्री की यह पहल उनके चरित्र की एक नई झलक देती है – जिसमें भक्ति है, समर्पण है और जनता के प्रति एक ज़िम्मेदार नज़रिया भी।